बिना तेरे
बिना तेरे
बिना तेरे मुझे कहीं रहना नहीं आया, जब तुझे मेरे बिना रहना नहीं आया, वक़्त यही सबसे अच्छा अब मैं भी ज्यादा तेरे बगैर रखने लगा हूं, खुद से खुद में मैं....अब खोने लगा हूं।
समय तेरा मेरा बीत गया, फिर नया वक़्त तेरा मेरा आया, जब ख़यालों में अपने मैं खोने लगा, तब तू ख़यालो में मेरे कहाँ होने लगी थी।
हर दिन हर पल हर आजकल तू मेरे खास होने लगी थी, जाने कहाँ तू मेरे ख्वाबों की गहराई में आने लगी थी। पल-पल दिन बीतता चला गया, तू मेरे खयालों से जब निकल गई।
खामोश हर पल रहने लगा।
बिना तेरे मैं खुद खोने लगा।
जाने कहा फिर मिला मुझे
दोस्त ये हार्दिक होने लगा।
खामोश रहना मुझे अच्छा लगा, तेरे बिना रहना मुझे अच्छा लगा, तू नहीं थी जब मेरे साथ तो मुझे लगा अब तुझे भूल जाऊँ।
धीरे- धीरे मैं तुझे भूलने लगा, पर भूल ना पाया, रोने लगा अपने ख़यालों में खोने लगा, बनाकर रखा था, एक अच्छा दोस्त तुझे, पर किस्मत में नहीं था, तेरा मेरा होना कभी ज़िंदगी में बहन के जैसा माना था, मैंने और तूने जब भाई माना था।
कहती थी हर पल मुझे चुप रहने को
और फिर बोलती थी मुंह तोड़ने
मंजूर खुदा ने भी तुझे नवाज़ा होगा
हार्दिक जब तुझे भी याद आने को
वक्त नहीं था तब पास मेरे सही अब वक़्त ही वक़्त है पास मेरे तू ना करे मुझसे अब बात तो मैं बेफिक्र हूँ, मैं उस दिन भी ग़लत नहीं था, और ना आज हूँ। जानबूझकर किसी ने तेरे फोन का नम्बर चुराया था, पता नहीं मुझे क्यों उसने चुराया था।
परवाह नहीं अब मैं तेरी करता हूं,
क्यूंकि मुझे परवाह करना नहीं है
सुन हार गयी तू मुझसे मैं नहीं हारा तुझसे हार्दिक हूँ हार नहीं मानता कभी सही वक़्त आने पर तू मुझे जान जाएगी।
शिकवा मुझे तुझसे नहीं
शिकायत मुझे तुझसे नहीं
हर बार की तरह भी मैं जीत गया, अपनी खुशी अपने खयालों में ढूंढ़ लिया, हूँ मैं बुरा तो बुरा ही तू मान लेना मुझे।
बात मेरी बात तू......
आज मेरे पास मेरी प्यारी दीदियाँ हैं, जिनका नाम तो नहीं बताऊँगा, हां इतना ही कहूंगा। आज मैं खुश हूँ, तो उन दीदियों से जिसने मुझे अपना माना, और जिंदगी में मेरी उन्होंने एक पहचान बनायीं।
हाँ आभारी हूँ, मैं तेरा तू नहीं तो अब जिक्र नहीं तेरा मैं कभी करूँ, मॉर्निंग वॉक 4:45 AM को उठना और रोज एक घंटा तुझसे बात करना मॉर्निंग वॉक करते करते अब भूल गया।
वक़्त सही हैँ आज मेरा
मैं सही हूँ आज वक़्त पे
अब क्या बात होगी तुझसे जब तूने तीन चार साल में बात ना की मुझसे एक बार भी अच्छा हुआ की नहीं हुई बात तुझसे अब मैं अकेला खुद को कभी महसूस ना कर पाता हूँ।
क्यूंकि मैं जानता हूँ अपनी जिंदगी जीना, मुझे नहीं किसी से कोई अब लेना देना।
ईश्वर मुझे भी नवाज़ा है ।
अपने पैरो पर तकाज़ा है ।
शुक्र है ईश्वर तेरा हार्दिक,
जो तूने उसे पहचाना है ।
हार्दिक कभी हार नहीं मानता हार्दिक अपनी जिंदगी अपने दम पर रहकर हमेशा अपने आज में जीता है।
भरोसा है मुझे उन पर जिसने मुझे मेरी जिंदगी को अपनाया है। मंजिल पर मुझे उसने पहुँचाया है।
