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Kanchan Hitesh jain

Others

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Kanchan Hitesh jain

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बहु मायके में बच्चे का ख्याल रख

बहु मायके में बच्चे का ख्याल रख

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"बहू, पीहर तो जा रही हो पर मुन्ने का ध्यान रखना। शादी ब्याह का घर है, ऐसा न हो कि भाई की शादी में बच्चे का ध्यान रखना भूल जाओ। "

"हाँ भाभी, माँ सही कह रही है। जब भी आप पीहर से आती हो मुन्ना बीमार हो जाता है। मुन्ना अभी काफी छोटा है, जनवरी का महीना है, ठंड भी ज्यादा होगी, ऊनी कपड़े रख लेना।"

"हाँ, दी रख लिए हैं। मुझे बहुत बुरा लग रहा है कि आपको आये एक सप्ताह भी नहीं हुआ और मुझे जाना पड़ रहा है। आप अपना, मम्मीजी और मेरी लाडली भांजी हनी का ख्याल रखना। "

"भाभी कोई बात नहीं, आपके भी भाई की शादी है वरना आप थोड़े ही जाती। "

पंद्रह दिन बीत गये और नेहा के वापस ससुराल लौटने के दिन भी नज़दीक आ गये। अचानक मुन्ने को तेज़ बुखार हो गया।

"बेटा कल तो तेरा टिकट है और मुन्ने को तेज बुखार है। डॉक्टर को बता देते हैं वरना तेरी सास ..."

डॉक्टर ने चेकअप कर बताया "क्लाईमेट चेंज होने के वजह से बच्चे को बुखार हो गया है। डरने की कोई बात नहीं एक दो दिन में ठीक हो जायेगा। चिंता का कोई विषय नहीं। "

"बेटा एक बार जमाईसा से बात कर ले तू, तो हम ये टिकट केंसल करवाकर दो दिन के बाद करा देते हैं" पापा ने कहा।


नेहा ने सुमित को फोन लगाया, "हैलो सुमित!"

"हाँ बोलो नेहा कैसी हो, मुन्ना कैसा है?"

"वो सुमित मुन्ने को बुखार है। अगर आप मम्मी जी से बात करो तो मैं दो दिन बाद के टिकट करवा दूँ?"

"नेहा तुम्हें ध्यान रखना चाहिए ना? सही कहा था माँ ने अच्छा होता शादी के बाद मैं तुम्हें अपने साथ ही ले आता। मैंने सोचा तुम चार दिन अपनी भाभी और माँ बाबा के साथ रह आओ। तुम्हें ध्यान रखना चाहिए ना नेहा, अब तुम तो जानती हो माँ से बात करना बोले तो... ठीक है चलो मैं देखता हूँ। "

थोड़ी देर बाद सास का कॉल आया।

"हैलो क्या हुआ नेहा? सुमित बता रहा था मुन्ने को बुखार है। पीहर क्या जाती हो तुम तो वहीं की हो जाती हो। अपनी जिम्मेदारी भी भूल जाती हो। ऐसा नहीं कि मुझे ही एक फोन कर लो।"

खरी खोटी सुना सास ने फोन काट दिया।

दो दिन बाद नेहा ससुराल लौटी। सास तो पहले से ही मुँह फुलाए हुए बैठी थी। लेकिन नेहा चुप रही क्योंकि वह उनके स्वभाव से परिचित थी। यहाँ वहाँ की बात कर नेहा ने उनका मूड ठीक कर दिया।

"रोमा तुझे और मुन्ने को बार बार याद कर रही थी। एक दिन पहले आ जाती तो उनसे मिलना हो जाता। "

"ठहरो मम्मी जी मैं दी को फोन लगाती हूँ। हैलो दी, कैसे हो? हनी कैसी है?"

"तुम्हारी दी रसोई में है, मैं सुशिला बात कर रही हूँ। "

"सॉरी आंटीजी कैसी हैं आप? दी और हनी कैसे हैं?"

"हमें क्या होना है!! हम तो ठीक हैं और तुम्हारी ननद भी मजे में है। पर पीहर जाकर बच्चे का ख्याल रखना भूल जाती है। जब भी आती है बच्ची को बीमार करके ही ले आती है। "

"आंटीजी क्षमा चाहूँगी छोटा मुंह बड़ी बात, पर ऐसी कोई बात नहीं है। दी तो हनी के पीछे कहीं बाहर भी नहीं निकलते। मम्मीजी और पापाजी तो एक मिनट भी बच्चों को अपने आँखों से ओझल नहीं होने देते। बच्चे छोटे हैं तो क्लाईमेट चेंज होने की वजह से बीमार हो जाते हैं। वैसे मुन्ने को भी बुखार था, हमने डॉक्टर को बताया तो उन्होंने भी यही कहा। बाकी आप घर की बड़ी हैं और आपको मुझसे ज्यादा अनुभव है। "

"सही कह रही हो बेटा तुम। वैसे लव कुश भी जब भी ननिहाल आते हैं, उन्हें यहाँ का मौसम सूट नहीं होता। लो तुम्हारी दी से बात करो। "

"सॉरी भाभी मैं आपको हमेशा.."

बात काटते हुए नेहा ने कहा "कोई बात नहीं दी, जिस पर बीतती है वही समझ सकता है। "

फोन स्पीकर पर था तो नेहा की बात सुन सास सब समझ गई और मन ही मन उन्हें अपनी बात का पछतावा होने लगा।



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