भारत के वेटलैंडस

भारत के वेटलैंडस

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"बच्चो, आप जानते हैं कि दुनिया भर में हर साल 2 फरवरी को वर्ल्ड वेटलैंड्स डे मनाया जाता है, फिर भी इनके संरक्षण के प्रति हमारी जागरूकता प्रश्नों के दायरे में आ जाती है।"

"चाचाजी, वेटलैंड क्या होते हैं?" वीरेश ने जानना चाहा।

"वीरेश, ऐसी जगहें जहां पानी अक्सर बना ही रहता हो, जैसे की दलदल, मड पिट्स( दलदल का कोयला) खारे पानी से लेकर समुद्र के पानी तक जहां इस तरह की स्थितियां हैं, उन्हें वेटलैंड कहते हैं। ऐसी भूमि जो लगातार जलभिंदों को सींचती हो, जहां पानी अन्य कार्यों में भी उपयोग में लाया जा सकता हो, वह जगह वेटलैंड होती है।"

"वेटलैंड की क्या उपयोगिता होती है,चाचू?" उमेश ने जिज्ञासा जाहिर की।

"यह क्षेत्र विविधता के स्रोत हैं। वेटलैंड्स होने से क्षेत्रों में खेती-बाड़ी की भी संभावनाएं पैदा होती हैं। यह पेड़ -पौधों की प्रजातियों का भी घर होते हैं और जलापूर्ति के रूप में यह क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। इनकी जल गुणवत्ता को भी बेहतर माना जाता है क्योंकि यह वैज्ञानिक तथ्य है कि वह तंत्र जहां पेड़ पौधे और पानी साथ हों, 90 फ़ीसदी तक बेहतरी के दर्जे में आता है। इनके परोक्ष आर्थिक लाभ देखें तो 

जलापूर्ति मत्स्य पालन, खेती, ऊर्जा के संसाधन यहां भरपूर मात्रा में मौजूद हैं, तो वहीं अपरोक्ष रूप से यह जल गुणवत्ता और रिचार्जिंग में बड़ा योगदान देते है।"

"इतनी उपयोगिता, फिर हम इन्हें बचाने की दिशा में क्या काम कर रहे हैं ?" बृजेश चिंतित था। 

"बच्चो, जीव संस्थान के आंकड़ों केअनुसार, पिछले पांच दशक में 70 से 80 फीसद एकल ताजे पानी के दलदल, झीलें और गंगा के बाढ़ के मैदान में पाए जाने वाले वेटलैंड्स की हालत अत्यधिक खराब हो चुकी है। अभी हमारे देश में करीब 50 फीसद वेटलैंड्स बचे हैं। यह प्रतिवर्ष 2 से 3 फीसद की दर से खो रहे हैं।"

"क्या वेटलैंड भी वैसे ही विलुप्त हो सकते हैं जैसे वन और पानी दुर्लभ हो रहे हैं?" साक्षी ने घोर निराशा जताई।

"साक्षी, तुम्हारी चिंता जायज़ है। वर्ष 1900 से लगातार 64 फ़ीसदी वेटलैंड्स, जहां अनेक प्रजातियों सहित जैव विविधता पाई जाती थी, 64 फ़ीसदी के लगभग विलुप्त हो गए हैं।"

 "पूरी दुनिया में इस बात की चर्चा रही कि ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग से करीब 50 करोड़ पशु-पक्षी जलकर मर गए या गंभीर तौर से उन्हें नुकसान पहुंचा। यदि वेटलैंड होते तो शायद वे बच सकते थे?" पूर्ति के स्वर की उदासी ने सबको हिला दिया।

"सही कह रही हो, पूर्ति, वेटलैंड्स की कोई खोज खबर ही नहीं ले रहा।ज बकि दुनिया में पाई जाने वाली जैव प्रजातियों की 45 फीसद पेंटानल वेटलैंड में मौजूद है। यहां पक्षियों की 463 प्रजातियां, 269 मत्स्य प्रजातियां, 236 स्तनधारी प्रजातियां और करीब 141 सरीसृप व उभयचर प्रजातियां पाई जाती हैं। इनके अलावा 9000 अकशेरूकी जीवों की उपजातियां भी इस जगह रहती हैं।"

"इतनी जैव विविधता और इतनी उपेक्षा! चाचाजी, भारत का सबसे बड़ा वेटलैंड क्षेत्र कहां है ?"जीवन ने पूछा।

 "मैनग्रुव सुंदरबन अपने देश में वेटलैंड का सबसे बड़ा क्षेत्र है। यहां व्यवसायिक रूप से महत्वपूर्ण 90 प्रकार की मतस्य प्रजातियां हैं।"

"क्या अंडमान - निकोबार भी वेटलैंड की श्रेणी में आता है ?" कुसुम ने कुछ सोचते हुए पूछा।

 "कुसुम, भारत में दूसरा बड़ा वेटलैंड अंडमान- निकोबार है, यहां आर्थ्रोपोड्स की सबसे ज्यादा 410 प्रजातियां व 253 मत्स्य प्रजातियां, 53 पक्षी, 8 स्तनधारी ,7 सरीसृप की प्रजातियां मौजूद हैं।"

"चाचाजी, मतलब साफ है कि जब इतनी प्रजातियां वेटलैंड्स में पाई जाती हैं, तो यह अपने आप में एक परिस्थितिकी तंत्र है। इस तंत्र में किसी भी तरह की छेड़छाड़ से तो यहां के वनों और पानी को ही नहीं, बल्कि इन प्रजातियों को भी नुकसान पहुँचेगा।" मयंक ने जोड़ा।

"मयंक, इनके साथ ही इंसान भी प्रभावित होंगे। भारत में जो वेटलैंड के मैनग्रूव का इलाका है, उसका करीब आधे से ज्यादा हिस्सा खत्म हो चुका है। वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर के वर्ष 1995 के आंकड़ों के अनुसार 147 वेटलैंड साइट्स खतरे में हैं। जिनमें करीब 32 फीसद साइट्स खत्म हो चुकी हैं।"

"न जाने कितने वेटलैंड्स अन्य कारणों से भी विलुप्त हो रहे होंगे।" नूपुर बोली।

"नूपुर, 22 फीसद वेटलैंड्स साइट्स मानव बस्तियों के कारण खत्म हो गए हैं।19 फीसद मानवों द्वारा किए गए अतिक्रमण से खत्म हो रहे हैं। 23 फीसद क्षेत्र कृषि के लिए जल निकासी के चलते खत्म हो रहे हैं, करीब 15 फीसद वेटलैंड्स में मृदा अपरदन गंभीर तरीके से दिखाई देता है।20 फीसदी उद्योग और उनसे जुड़े प्रदूषण के कारण खो गये। लगभग पिछले 20 सालों में खेती-बाड़ी के लिए जो पंपिंग इन के चारों तरफ की गई उसने प्रतिवर्ष डेढ़ से 6 मीटर की पानी की बोरिंग को बढ़ा दिया और भूजल स्तर नीचे चला गया।"

"अभी कुछ दिन पूर्व कुछ गणमान्य पर्यावरण विशेषज्ञ हमारे स्कूल आए थे जिन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश में करीब 34,000 प्राकृतिक वेटलैंड को खेती- बाड़ी के लिए उपयोग में लाया गया। वेटलैंड्स का काफी हिस्सा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में चला गया। भारत की 50,000 बड़ी और छोटी झीलें प्रदूषण के कारण मृतप्राय हो चुकी हैं।" पारितोष ने कहा।

"यदि इतने नुकसान का प्रत्यक्ष प्रमाण देखने के बाद भी हम गंभीर नहीं हुए तो आने वाले समय में जिस तरह से हमने वनों और पानी को खोया

 है, ठीक वैसे ही वेटलैंड्स के

 जाने के बाद शायद पशु -पक्षी और जानवरों के साथ-साथ हम इंसानों के बचने का कोई भी बड़ा विकल्प नहीं रहेगा।अच्छा हो हम जागरूक हो जाएं।"

"इतनी जागरूकता और जानकारी के बाद हम पर्यावरण के साथ खिलवाड़ न तो करेंगे,न ही करने देंगे, क्यों मित्रों ?" जीशान ने कहा।

"बिल्कुल सही, इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए पहले तो हम चाचाजी का धन्यवाद कहें, क्यों मित्रों ?" साहिल ने जोड़ा।

"धन्यवाद, चाचाजी।"



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