Kameshwari Karri

Others Children

3.5  

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बढ़िया - सा टिफ़िन

बढ़िया - सा टिफ़िन

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आप सोच रहे होंगे कि यह क्या बढ़िया सा टिफ़िन ....यह किसकी बात हो रही है ? टिफ़िन तो टिफ़िन है बढ़िया या बेकार तो नहीं होता। 

हम सब आजकल इस परेशानी के दौर से ही गुजर रहे हैं, बच्चों को पराठे, उपमा, दोसा या पोहा यह सब टिफ़िन के समान नज़र नहीं आते उन्हें लगता है यह पुराने जमाने का खाना है उनकी बातों में ओल्ड फ़ैशन का। उनके लिए पिज़्ज़ा, बर्गर पास्ता नए जमाने के टिफ़िन हैं ख़ैर !

  कल की ही बात है शाम को स्कूल से पैर पटकते हुए सोनू लौट कर आया और ज़ोर - ज़ोर से रोने लगा, गरिमा ने पूछा क्या बात है, सोनू क्या हो गया है ? क्यों रो रहा है .....कुछ बोलेगा या रोते ही रहेगा ? 

सोनू कुछ नहीं बोल रहा था और मेरी सास आ गई क्योंकि उनका लाडला पोता रो जो रहा था .... अरे सोनू बेटा बोलना क्या चाहिए तुझे ....मुझसे बोल ..मैं दादी हूँ न जो चाहे दूँगी.... नहीं दादी मुझे बढ़िया सा टिफ़िन चाहिए। हमारे क्लास में मेरा दोस्त है न सुबोध वह रोज़ बढ़िया टिफ़िन लाता है और मेरी टिफ़िन में कभी भी बढ़िया टिफ़िन नहीं होता है हमेशा मुझे उसके टिफ़िन से ही खाना पड़ता है, कितना टेस्टी टिफ़िन बनाती हैं उनकी मम्मी.... फिर राग शुरू हो गया। दादी ने कहा वह क्या है बोल मैं यू ट्यूब में देखकर तुम्हारी माँ से बनवा दूँगी। 

मुझे नाम नहीं मालूम दादी... तभी माँ उसे बहलाकर अपने साथ ले गई पर वह बढ़िया टिफ़िन की रट लगा रहा था। चुप भी नहीं हो रहा था। अब मेरी सहन शक्ति ने जवाब दे दिया और ग़ुस्से में मैंने उसे एक चाँटा मार दिया, फिर क्या घर में सास बहू के बीच घमासान कुरुक्षेत्र का युद्ध शुरू हो गया। सास कह रहीं थीं कि चार - चार बच्चों को पाला है पर मजाल है किसी बच्चे पर हाथ उठाया हो ...पर अब एक बच्चे को भी ठीक से नहीं पाल सकते ...और कुछ कहो तो जनरेशन की बात कहने लगते हैं आजकल की सारी लड़कियाँ ही ऐसी हैं। बड़ी आई हाथ उठा ने वाली बच्चा है वह ज़िद नहीं करेगा तो कौन करेगा, चाँटा मार दिया देखो गाल पर कैसे उँगलियों के निशान आ गए। सोनू भी रोते -रोते बिना खाना खाए ही सो गया। मुझे भी बुरा लग रहा था कि कभी भी बच्चे पर हाथ नहीं उठाया और आज उस पर हाथ उठाया। तभी सोनू के पापा राजीव ऑफिस से आ गए और सास ने शिकायतें का पिटारा खोल दिया। राजीव ने कहा माँ छोड़ो न गरिमा बढ़िया -सी चाय पिलाओ न बहुत थक गया हूँ.....फिर बढ़िया मेरे तो तन बदन में आग लग गई। अपने आपको सँभाला सुबह से बढ़िया सुनसुन कर मेरे तो कान ही पक गए थे। किसी तरह अपने आपको सँभालकर मैंने चाय बनाई। 

दूसरे दिन सुबह सोनू को समझाया और बढ़िया टिफ़िन का नाम पूछकर आने के लिए कहा ....साथ ही यह भी बताया कि उसके टिफ़िन में पराठा रखा है और उसके गुणों की सूची उसे सुना दिया और कहा अपने दोस्तों को भी बताना वह हाँ हाँ में सिर हिलाकर स्कूल बस में चढ़ गया। 

ऐसा लगा जैसे अब के लिए तो बला टली। घर पहुँच कर रसोई के काम निबटा रही थी तभी सासू माँ ने आवाज़ दी गरिमा बाहर सब्जी वाला आया है बढ़िया सा पालक ला दे शाम को पालक पनीर बना लेते हैं वैसे भी सोनू को बहुत पसंद है। मुझे लगा ज़ोर से चिल्लाऊँ कि पालक में भी बढ़िया होता है भुनभुनाते हुए बाहर जाकर पालक लाई। किसी तरह शाम हुई आज सोनू चिल्लाते हुए आया, दादी को पता चल गया है दादी भी भागते हुए आई बोल बेटा कल तेरे टिफ़िन में बढ़िया टिफ़िन जाएगा। ज़ोर ज़ोर से हाँफते हुए उसने कहा माँ वह पिज़्ज़ा उत्तपम है अब मुझे भी चाहिए मैंने चैन की साँस ली चलो पता तो चला कि वह बढ़िया टिफ़िन क्या है। दूसरे दिन मैंने सासू माँ के सुपरविजन में पराठा पिज़्ज़ा बना दिया.... सोनू ख़ुशी - ख़ुशी अपना टिफ़िन लेकर चला गया। उसे देख ऐसा लग रहा था जैसे उसने माहिष्मती पर फ़तह कर ली हो। अब जाकर दो दिन से घर में जो हंगामा चल रहा था उसका अंत हुआ। मैं सोच रही थी कि बच्चों को कैसे समझाया जा सकता है कि पराठे को दही के साथ या अचार के साथ खाने में जो आनंद है वह पिज़्ज़ा में कहाँ कुछ कहे तो आज का जनरेशन की दुहाई देते हैं क्या है आज के जनरेशन में अच्छे ख़ासे गाने को टुकड़ों में गाकर उसे ही जैज़ , रॉप का नाम देकर ख़ुश हो जाते हैं। कहते हैं न असल से सूद प्यारा होता है वैसे ही दादी, नानी भी इस रीमेक वर्शन में जाकर ख़ुश हो जाते हैं। हम न आगे जा सकते हैं न पीछे रह सकते हैं ऐसी जनरेशन में हम हैं । कुकर की सीटी ने आवाज़ लगाई तो गरिमा अपनी दुनिया से वापस अपने घर में आ गई। 

           


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