STORYMIRROR

Anvi GODARA

Children Stories Others

2  

Anvi GODARA

Children Stories Others

बचपन की यादें

बचपन की यादें

2 mins
161

मैं अखबार पढ़ रहा थी। अचानक अंदर से बच्चों के चिल्लाने की आवाज आती है। मम्मी लाइट चली गई। रिचार्ज खत्म हो गया। तभी दिशा आ कर कहती है सब सारा दिन इन्हीं में लगे रहते हो कुछ देर बाहर चले जाओ।

दिशा दोनों बच्चों को डांट फटकार करके बाहर भेज देती हैं। मैं तुमसे कहती हुई क्या हुआ क्योंं चिल्ला रहे हो।

बच्चे कहते हैं कि हमें बाहर घूमने में मजा नहीं आता। हमें तो टीवी और मोबाइल में ही मजा आता। तब मैंने उनसे कहा आज तुम्हारे बचपन से अच्छा हमारा बचपन‌‌ था।

हमारे बचपन में ना कोई मोबाइल था ना कोई टीवी हम बहुत मस्ती किया करते थे पर तुम लोग तो सारा दिन मोबाइल और टीवी में लगे रहते हो। 

तभी मीठी बोलती है सच में आप मस्ती किया करते थे। मैंने बोला हमारे बचपन में तो हम पेड़ों पर चढ़ना मिट्टी में खेलना लोगों के घरों से आम चुराना। बहुत मस्ती किया करते थे।

पर तुम लोग तो ऐसा कुछ नहीं करते तुम्हें देखे मुझे बचपन की याद आती है कि हम किस तरह मस्ती करते थे पर आजकल के बच्चे तो यह सब कुछ जानते ही नहीं।

हमारा बचपन इतना अच्छा था कि आ इस उम्र में भी हम एकदम स्वस्थ है पर तुम लोग बिल्कुल भी नहीं। इसी कारण तुम्हारी इतनी छोटी उम्र में चश्मा लग गया एक हमारा टाइम था अच्छा खाना अच्छा घूमना फिरना अच्छे मस्ती पर तुम सब कोई एक कुछ भी नहीं पता।

दोनों बच्चे उदास हो जाते हैं और कहते हैं कि हमें तो ऐसा कुछ आता ही नहीं। मैंने कहा उदास क्यों होते हो आज से हम सब मिलकर खेलेंगे। मैं सिखाऊंगी  तुम को और खेलूंगी भी। उनके साथ खेल कर मेरे बचपन की याद आती है। आज का बचपन बहुत अलग है।


Rate this content
Log in