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Rashmi Nair

Others

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Rashmi Nair

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अपाहिज सोच

अपाहिज सोच

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  रमणी दसवी कक्षा की छात्रा थी जो रोज की तरह शाम को स्कूल छूटने पर अपने घर जा रही थी । रास्ते में उसने देखा कि एक उससे बड़ी उम्र की आपाहिज लडकी नूतन अपने बैसाखी के सहारे चली जा रही थी । उसके पीछे एक कुत्ता भी जा रहा था । पीछे से कुछ शरारती बच्चों ने कुत्ते को छेडा़ तो कुत्ता भौंककर भाग निकला । पर अचानक कुत्ते के भोंकने से वो डर गई और उसके हाथ से बैसाखी छूट गई । वो लड़खड़ाई ,जिसे रमणी ने देखा और दौड़ कर उसके गिरने से पहले उसने बैसाखी उठाई और उसे सहारा देते हुए थाम लिया ताकि वो गिर न जाये । नूतन रमणी से प्रभावित हुए बिना न रह पाई ।


   वो मुस्कुराई और उसने रमणी को धन्यवाद कहा। रमणी भी उसे देखकर मुस्कुराई और उन दोनों में औपचारिक बातें हुई । कुछ दूर साथ चलने के बाद रमणी कालोनी के गेट के सामने रुकी और उसने नूतन से इजाजत मांगी और कहा "मैं इस कालोनी में रहती हूं । " और नूतन ने कहा "मैं इस गेट के सामने वाली बस्ती में रहती हूं " । दोनों एक दूजे से विदा लेकर अपने–अपने रास्ते से घर चली गईं। 

   उस दिन के बाद कभी कभी शाम को यूं ही, दोनों मिल जाते ,बातें करते और अपने–अपने घर चले जाते। कुछ दिनों में दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई । वो दोनों आपस में बहनों की तरह रहने लगीं। रमणी उसे दीदी भी कहने लगी थी । एकबार उसने उसे जन्म दिन पर अपने घर भी बुलाया । वो उसके लिये एक तोहफा भी लाई थी । जिसे देकर वो अपने घर चली गई । पर दोनों में कोई नहीं जानता था कि उनकी ये दोस्ती ज्यादा नहीं चल पायेगी ।

उनकी ये दोस्ती लोगोंकी नजरों में आ गई । न जाने क्यों लोगों को उनकी दोस्ती पसंद नहीं आई । न वो नूतन समझ पाई और न ही रमणी ही समझ पाई । वो दोनों मासुम थीं । उनको लोगों की मंशा समझ नहीं आई । वो दोनों किसी भेद भाव को नहीं जानते थे । एकलौती रमणी को नूतन में एक बडी़ बहन और अच्छी सहेली नजर आई । 


   कालोनीसके लोग रमणी की माँ के कान भरने लगे । वो लोग य़े सह नहीं पाये और जब भी रमणी को उससे बातें करते देख उसे रोकते टोकते । जब नूतन के घरवालों को पता चला वो कुछ नहीं बोले । उनको इनकी दोस्ती अच्छी लगी क्योंकि उनको अब तक नूतन को गरीब और अपाहिज बेटी को इससतरह इज्जत मिलते हुए पहलीबार देखा था । वो लोग खामोश ही थे । अक्सर उसे लोगोंसके ताने ही सुनकर दुखी होकर घर आकर रोते देखा था । कुछ ही दिनोंसे उसे खुश देखकर खुश हो रहे थे । 


    इस मासूम दोस्तीके बीच अमीरी - गरीबी, उँच-नीच, असमानताकी दीवारें खड़ी हो गईं । रमणी की माँ ने उसे खूब डाँटा और धमकी भी दी कि आईंदा से अगर उस अपाहिज लड़की से बात करते देखा तो घर से निकाल दूँगी फिर जा उसी के पास रह जी भर के " माँ की धमकी से रमणी भी डर गई । अगर सचमुच घरसे निकाल दिया तो उसकी सारी सुख सुविधाएँ छिन जायेगीं और शिक्षा में रुकावट आयेगी । उसे यह जताया गया कि दोस्ती बराबर के लोगों के साथ ही करनी चाहिये । ये बात उसके दिमागमें इस तरह भर दी कि दूसरे दिन से उसने नूतन से हमेशा, हमेशा के लिये मुँह मोड़ लिया । 


                     

       


























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