Dhan Pati Singh Kushwaha

Children Stories Others

4  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Children Stories Others

अंतराल

अंतराल

10 mins
688


वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर के बाद सरकार ने विद्यालय खोलने की घोषणा की। विद्यालय खोलने की घोषणा से कुछ अभिभावकों और विद्यार्थियों को प्रसन्नता हुई ।वहीं कुछ अभिभावक अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सशंकित थे । कोई भी व्यक्ति अपने दिल के टुकड़े को ऐसी जगह नहीं भेजना चाहता जहां उसके अनिष्ट की कोई भी संभावना हो। विद्यालय में कोविड से बचाव के दिशा निर्देशों का कितना पालन हो पाएगा इसमें भी काफी संदेह था। बच्चे के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता था। सरकार ने अभिभावकों को यह विकल्प दे रखा था कि वे अपने बच्चे को घर से ही ऑनलाइन क्लास अटेंड करवा सकते हैं या अपने जोखिम पर विद्यालय में भेज सकते हैं ।विद्यालय में आने वाले हर बच्चे को अपने अभिभावक की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर आना होगा ।जब बच्चे विद्यालय में आए तो इतनी लंबी अवधि के बाद उन्हें वहां काफी कुछ बदला-बदला सा नजर आया। विद्यालय में बच्चों की संख्या कम नजर आ रही थी क्योंकि कुछ अभिभावक ऐसे थे जिन्होंने अपने बच्चों को भेजा ही नहीं था। गांव जा चुके बच्चों में से बहुत सारे अभी वापस ही नहीं आए थे । इसके अतिरिक्त सरकारी दिशा- निर्देशों के अनुसार विद्यालय में एक दिन में कुल बच्चों में से आधे बच्चों को ही बुलाया गया था। कक्षा में बच्चों के चेहरों पर एक लंबे समय अंतराल के बाद एक दूसरे से मिलने की खुशी और संक्रमण की संभावना का भय मिश्रित भाव परिलक्षित हो रहा था।

नीतू मैडम ने कक्षा में आकर सभी बच्चों का स्वागत करते हुए उनका उत्साह बढ़ाते हुए कहा-"सभी बच्चों को शुभ प्रभात। बहुत लंबी अवधि तक विद्यालय से दूर रहने के बाद तुम सबका हमारी ओर से बहुत स्वागत है। तुम सभी बच्चों को बधाई और तुम सबके माता-पिता का बहुत-बहुत धन्यवाद कि उन्होंने एक उत्साहवर्धक कदम उठाते हुए तुम्हें विद्यालय भेजने का एक साहसिक निर्णय लिया है और हम अध्यापक - अध्यापिकाओं में अपना विश्वास व्यक्त किया है। विद्यालय आने से पूर्व आपके माता -पिता ने भी तुम सबको कोविड के अनुरूप सभी नियमों का पालन पूरी सावधानी और ध्यान के साथ करने की चेतावनी अवश्य दे रखी होगी। हम सबको हर पल यह ध्यान रखना है कि कोविड-19 का प्रभाव केवल कम हुआ है ।यह अभी समाप्त नहीं हुआ है। असावधानी बरतने पर फिर से भयंकर रूप धारण कर सकता है जैसा कि हमने देखा की पिछली बाहर संक्रमण में जब कमी देखी गई तो लोगों ने असावधानी बरती तभी तो इसका बुरा परिणाम हमारे सामने दूसरी लहर के रूप में आया । पहली लहर के बाद आई दूसरी लहर काफी भयावह रही तू जितने भी लड़की तुलना में अधिक लोगों को मौत के मुंह में ढकेला। पहली लहर के बाद आज हम थोड़ा बेहतर स्थिति में हैं क्योंकि पहली लहर के पास हमारे टीकाकरण उपलब्ध नहीं था । वर्तमान समय में राहत की बात यह है कि आज देश में एक सौ करोड़ से अधिक आबादी को टीका दिया जा चुका है लेकिन बच्चों के लिए अभी टीके का इंतजार है । यहां हम सबको ही ध्यान रखने वाली एक बात यह है कि यदि किसी को कोरोना से बचाव का टीका लगाया भी जा चुका है तो भी उसे कोरोना का संक्रमण हो सकता है । टीकाकरण करवा चुके व्यक्ति पर संक्रमण का ऊपर असर या तो दिखेगा नहीं या हल्का संक्रमण होगा लेकिन टीकाकरण करवा चुका व्यक्ति संक्रमित होने पर दूसरे व्यक्ति को संक्रमण दे सकता है। जिस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होगी वह इससे जल्दी और ज्यादा गंभीर संक्रमण से प्रभावित होगा । हम सबको यह जानना और ध्यान रखना बड़ा ही आवश्यक है कि एक ही वातावरण में कई लोग रह रहे हैं और उस वातावरण में संक्रमण फैलाने वाले रोगाणु अर्थात कोविड का वायरस मौजूद है पर उनमें कुछ व्यक्तियों को गंभीर संक्रमण होता है कुछ व्यक्तियों को हल्का का संक्रमण होता है जबकि कुछ व्यक्ति संक्रमण से प्रभावित ही नहीं होते ।यह अलग-अलग व्यक्तियों की उनकी अपनी अलग-अलग रोग रोधक क्षमता में अंतर के कारण होता है। इसलिए हम सबको हर पल ध्यान रखना है कि हम अपना मास्क लगा कर रखें एक दूसरे से निर्धारित दूरी बनाकर रहें। किसी भी स्थिति में कहीं पर इस दूरी को कम न करें। अपने हाथों को साबुन या सैनिटाइजर से साफ करके अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता सुनिश्चित रखें। एक दूसरे से के साथ किसी भी चीज का आदान-प्रदान ना करें। यह सब हमारे अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा के लिए परम परमावश्यक है।"

नीतू मैडम प्रकाश की ओर देखा जिसके हाव- भाव से यह लग रहा था कि वह कुछ बताना चाहता है । नीतू मैडम ने उसे अपनी बात रखने का अवसर देते हुए कहा -"प्रकाश बेटा! लगता है तुम कुछ कहना चाहते हो। तुम्हारे मन में जो विचार आ रहे हैं वह कक्षा के सभी बच्चों के साथ साझा करो।"


नीतू मैडम को धन्यवाद देते हुए प्रकाश बोला-"मुझे अपनी अपनी बात रखने का अवसर देने के लिए मैं आपका हृदय से आभारी हूं ।मैडम ,जैसा कि हम सब यह जानते ही हैं कि वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के लिए सरकार ने लॉकडाउन घोषित किया था। सभी कार्यस्थल ,कारखाने, दफ्तर स्कूल बंद हो गए। लॉक डाउन के दौरान अपने घर और गांव को छोड़कर शहरों की ओर प्रवास पर जाने वाले लोगों के पास काम नहीं था क्योंकि जिन वे स्थानों पर भी काम करते थे वहां रोजगार उपलब्ध करवाने वाली फैक्ट्रियां और दुकानें बंद हो गईं थीं। बिना काम के पेट भरने तक की समस्या आ गई थी। जिन लोगों के अपने गांव में कोई खास खेतीवाड़ी नहीं थी वह लंबे समय से ही शहर में नौकरी - मजदूरी कर रहे थे लॉकडाउन में अनेक अनेक समस्याओं से जूझते हुए वे अपने गांव पहुंचे थे। वहां पहुंचकर उन्हें भी कमोबेश वैसा ही अनुभव हो रहा था जैसा आज पहले दिन हम सब विद्यार्थी विद्यालय में अनुभव कर रहे हैं सब कुछ बदला-बदला सा नजर आ रहा था। हम लोग भी अपने गांव कभी लंबे समय अंतराल के बाद जाते हैं तो पहले की तुलना में काफी कुछ बदलाव हो चुका होता है। इस बदलाव को अनुभव करना और उस अनुभव को दूसरे के साथ साझा करना बड़ा सुखद अनुभव होता है। अपनी गांव में एक लंबे समय के बाद अब अनुभव का वर्णन करती हुई कमला कान्त त्रिपाठी की कहानी 'अंतराल' जो 'आर्य बुक डिपो' द्वारा 2001 में प्रकाशित हुई थी। जिसमें लेखक अपने मामा के गांव की यात्रा का वर्णन करता है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं का चित्रण किया गया है। उस कहानी का सार मैं आपकी अनुमति से कक्षा के सामने प्रस्तुत करना चाहता हूं।"

नीतू मैडम ने प्रकाश को इसे कक्षा के साथ साझा करने की अनुमति देते हुए कहा -"हां बेटा प्रकाश, मेरी ओर से तुम्हें अनुमति है कि तुम इस कहानी के मुख्य बिंदु साझा करो।"

प्रकाश ने पुनः एक बार मैडम का आभार व्यक्त करते हुए अपनी बात प्रारंभ की-"लेखक अपनी पुराने गांव जाने के अंगो का वर्णन करता है रास्ते में जब छोटा था तो सड़क के किनारे की पगडंडी को खोजी नगर नजरों से ढूंढने का प्रयास करता है उस बीच में उसके मन में पहले समय में किस तरीके से लोग नाव से नदी पार करते थे किस तरीके से लोग नाव दूसरी ओर चले जाने के बाद फिर से इस किनारे वापस आने तक के समय को किस प्रकार बिताते थे ? लोगों की वेशभूषा उनके हाव-भाव विचार और क्रियाकलाप कैसे होते थे? लेखक ने अपने शब्दों के माध्यम से ग्रामीण जीवन का सजीव चित्रण किया है। नई दुल्हन चटक पीले रंग की साड़ी पर चमकीली चादर ओढ़ कर उसका लंबा सा घूंघट निकाल कर अपने पैरों में गिलट के झांझ ,जो चूड़ियों की तरह होते हैं , उन्हें पहने होती उसके साथ कोई अधेड़ या बूढ़ा आदमी पुरानी मटमैली धोती के ऊपर नया सिला चमकदार कुर्ता पहने होता था।ग्रामीण जीवन में कोई भी महिला दिखावे में विश्वास नहीं करती थी ।यदि किसी महिला की गोद में बच्चा है और वह रोता है तो वह वहीं थोड़ा सा आड़ लेकर उसे स्तनपान कराने में कोई शर्मिंदगी नहीं महसूस करती। नव वाला सवारियों को नाव से उतरने और नाव पर चढ़ाने में उनकी मदद करता है लेकिन नाव पर बैठकर किसी तरह की कोई शैतानी नहीं बर्दाश्त की जाती थी। देश में भ्रष्टाचार की कहानी को उजागर करते हुए लेखक ने अपना अनुभव साझा किया कि नदी के को पार करने के लिए उससे टोल तो वसूला जाता है लेकिन टोल वसूलने वाला पैसा लेकर उसकी रसीद देना नहीं चाहता। इसका लेखक समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।गांव में पहुंचकर लिखो मामा जी से मिलता है। लेखक ने जहां घने घने आम के बाग देखे थे। लेखक वर्णन करता है कि आम के यह सारे के सारे बाग गायब हो गए हैं और वहां पर खेत हैं। गांव में लोगों ने पेड़ों को काटकर वहां पर खेती करना शुरू कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की स्थिति ज्यादातर अच्छी नहीं है। गांव के बच्चों के लिए गाड़ी एक आश्चर्यजनक व स्तुति गाड़ी पहुंचते ही बच्चे घेर कर खड़े हो गए। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य का हाल बहुत बुरा है उसके मामा जी उसे बताते हैं कि पास के कस्बे में एक कैंप में उन्होंने आंख का ऑपरेशन करवाया था लेकिन पहले जो थोड़ा- बहुत पुस्तक से जो नजर आता भी था ऑपरेशन के बाद वह दिखाई देना भी बंद हो गया। लेखक जाति प्रथा के भेदभाव में ग्रामीण लोगों के दिलों में बसी होने की बात अपने कथानक में साझा करता है कि मामा जी के घर से लड़की आई जो बिस्कुट और लोटे में पानी लेकर आई थी उसने अपने घर से अपनी अम्मा के द्वारा ड्राइवर की जाति पूछे जाने की बात काफी ऊंची आवाज में कही थी ।लेखक बताता है कि ड्राइवर की जाति तो उसने भी कभी नहीं पूछी थी ड्राइवर ने इस ऊंची आवाज में पूछे प्रश्न को सुनकर यह कह दिया कि उसे प्यास नहीं लगी है। उसकी मामी की मृत्यु के बाद उनके बच्चों ने दूसरे शहर में अपनी रोजी रोटी के लिए कुछ काम करने का प्रयास किया लेकिन अपने गांव लौटना पड़ा और गांव में ही दोनों भाई जमीन का बंटवारा करके अपने दिन गुजारने लगे। लेखक के मामा जी अपने दोनों बेटों के यहां बारी-बारी से दिन गुजार रहे थे कोई पुराना रिश्तेदार आ जाता है तो उसके खाने पीने रहने की बड़ी ही अव्यवस्था थी। लेखक के नाना के समय ऐसी अच्छी थी वह नौकरी करते थे लेकिन उसके बाद बच्चों को अभाव की जिंदगी बितानी पड़ रही है। लेखक जब अपने नाना के गांव जाया करता था तो उस समय गांव में एक दर्जी और उसका बच्चा था। लेखक गांव में उन्हें ढूंढता है और मिलने के बाद देखता है कि उनकी भी हालत उसके मामा की तरह ही खराब है। दर्जी का बेटा किसी की मदद से सऊदी अरब में नौकरी करने के लिए अपने पड़ोस के एक आदमी की मदद लेने की कोशिश कर रहा है जो सऊदी अरब में रहता है। साथ ही वह यह भी कहता है कि वहां जाने के लिए वीजा वगैरा में बहुत खर्च आएगा। वह अपने को भगवान के भरोसे ही मानकर चलता है। आज भी ग्रामीण इलाकों में लोगों के हालात बहुत खराब है हमारे देश में गरीबों की मदद के लिए सरकारें बड़े-बड़े वायदे करती हैं लेकिन यह सारे के सारे वायदे सरकारी फाइलों में दबकर रह जाते हैं और गांव का आदमी आज भी विपन्नता की स्थिति से गुजर रहा है यदि सरकार गरीबों के लिए कुछ नीति बनाती भी है तो उन नीतियों का अनुपालन करने वाले लोग अपने व्यक्तिगत लाभ की बात सोचते हैं । लाभ का छोटा सा भाग ही गरीब के पास मुश्किल से पहुंच पाता है । बिचौलिए बीच में सारी रकम हड़प जाते हैं । कहीं न कहीं ग्रामीण इलाके में लोगों में शिक्षा और जागरूकता का जो अभाव है यह सब उसी का प्रभाव है। जब तक देश के लोगों में जागरूकता नहीं आती। देश का विकास संभव नहीं ।देश का समुचित विकास होने के लिए आवश्यक है कि हर व्यक्ति शिक्षित हो और साथ ही साथ उसमें सामान्य समझ अर्थात जागरूकता भी हो जिससे वह सोच समझकर अपने भले- बुरे का निर्णय खुद ले सके।


Rate this content
Log in