Bhawna Kukreti

Children Stories

4.7  

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आसमान की सैर

आसमान की सैर

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एक बार पक्षियों की मित्र मंडली, अपने पेड़घर से बिना किसी को बताए ,सुबह सुबह उड़ी और आसमान की सैर को निकल पड़ी। उसमें बहुत तरह के रंगबिरंगे पक्षी थे । उन सबको उड़ते उड़ते बहुत देर हो गई थी । सब घर से हल्का फुल्का नाश्ता करके निकल पड़े थे घूमने ।सो अब सबको भूख लगी थी।उनमें सबसे आगे तोता उड़ रहा था । उसने आसमान से नीचे देखा ।उसे एक फलों का बगीचा दिखाई दिया । मीठे- मीठे रसीले फल वाला। उसने सबसे कहा


"तोता हूं मैं तोता हूं

हरा हरा मैं तोता हूँ


नीचे मीठे फल लगे हैं

उनको चल कर खाते हैं।


मंडली में जो कव्वा था न जिसे सब बहुत चतुर मानते थे ,बोला--


"कव्वा हूँ मैं कव्वा हूँ

जी काला काला कव्वा हूँ


देखो क्या कोई माली है

क्या बगीचा खाली है?


अब पीली चोंच वाली काली कोयल बोली ,


"कोयल हूँ मैं कोयल हूँ

मीठा मीठा गाती हूँ


क्या वहां पर जाल है,

या सब माला माल है?


अब बगुला भला कहाँ चुप रहता। वो भी बोला


बगुला हूँ मैं बगुला हूँ

सफेद रंग का बगुला हूँ।


बाग में हो कर आता हूँ ,

सारी बात बताता हूँ।


कुछ देर बाद बगुला जासूसी करके आया। और सबको कहा कि वहां न माली है न जाल। हम सब मजे से मीठे मीठे रसीले फल खा सकते हैं।

अब उनके साथ एक उल्लू भी था। उल्लू को तो बहुत नींद आ रही थी। वो तो बस दोस्तों के कहने पर साथ उड़ के आया था। तो वो जाकर बाग के मेन गेट पर बैठ गया। बोला

"उल्लू हूँ मैं उल्लू हूँ ,

रातों में मैं जगता हूँ।


यहीं गेट पर बैठा हूँ ,

चौकीदारी करता हूँ।


फिर क्या था!! सारे पक्षी उल्लू की बात पर भरोसा करके , अपने पर फड़फड़ाते बगीचे में चले आये। और अपनी पसंद के फलवाले पेड़ पर जा बैठे । वे सब मजे से फल खाने लगे। भूरी भूरी गौरैया अपनी चोंच से जामुन खाने लगी। पूंछ के नीचे लाल निशान वाली बुलबुल को, आम का मीठा गूदा बहुत पसंद आया । इधर कौआ और सफेद कबूतर अमरूद के पेड़ पर चले गए।वहां पके हुए अमरूद से बीज निकाल निकाल कर खाने लगे। कठ फोड़वा पेड़ के तने पर अपनी नुकीली चोंच से ठक ठक ..ठक ठक करने लगा ।उसी पेड़ के नीचे घूमते बगुले ने बोला "श श श शोर नहीं मचाओ। माली आ जायेगा !!" और ये क्या कर रहे ?" कठफोड़वा बोला " ओ हो!! उल्लू हैं न चौकीदारी में... और मुझे कीड़े खाने में ज्यादा मजा आता है", बगुला बोला "तो इधर आओ ,यहां जमीन में बहुत सारे छोटे छोटे कीड़े हैं। !" कठफोड़वा उड़ कर बगुले के पास आ गया।अब बगुला और कठफोड़वा पेड़ की जड़ के पास, गीली मिट्टी में चोंच घुसा घुसा के कीड़े खाने लगे ।


तो ये सारे पक्षी खूब स्वाद ले ले कर फल और छीटे छोटे कीड़े खा रहे थे अचानक बाग में माली आ गया!!! उसने पेड़ों पर पक्षियों को फल खाते देखा।वो तो गुस्से से आग बबूला हो गया।उसने एक बड़ा सा मिट्टी का ढेला उठाया और एक पेड़ पर दे मारा। वहां कव्वा बेचारा भर पेट फल खाने के बाद बैठा हुआ था।और अपनी चोंच साफ कर रहा था। वो उस मिट्टी के ढेले से बाल बाल बचा।

कौए ने देखा अब माली तोते पर निशाना लगा रहा है ।वो जोर जोर से काँव काँव करता माली के ऊपर से फुर्ररर्रर्रर करके उड़ गया। माली का निशाना चूक गया।


सारे पक्षी और वो उल्लू, कौए की काँव काँव सुन कर उड़ गए।

बाद में अपने पेड़घर पहुंच कर सबने बोला " भई आज तो सब बाल बाल बचे!!", कौए ने कहा " दोस्तों अब हम घर के आस पास ही रहेगे। ऐसे किसी सैर पर बिना बताए नहीं जौएँगे ।और तो और किसी के बगीचे में चोरी छुपे भी नहीं जायेगे। " , " हाँ हाँ बिल्कुल नही जाएंगे" सबने कहा।


इधर उल्लू, पेड़ घर पहुंचते ही फिर से सो गया था। सबकी आवाजें सुन कर चौंक के उठा और बोला


" हाँ हां हम सब जाएंगे, हम सब जाएंगे !!"


सब जोर जोर से हंसने लगे,और बोले "और इस उल्लू को तो चौकीदार बिल्कुल नहीं बनाएंगे।"


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