आजकल के इन बच्चों की तो रात होती ही नहीं है। दिन की तरह पूरी-पूरी रात टी.वी, कंप्यूटर, मोबाइल पर बैठ... आजकल के इन बच्चों की तो रात होती ही नहीं है। दिन की तरह पूरी-पूरी रात टी.वी, कंप...
मैं एक रोज़ उसके घर गया और पूछा ये घर में इतना अंधेरा क्यों है ? और तुम क़ब्र पर क्यों जा मैं एक रोज़ उसके घर गया और पूछा ये घर में इतना अंधेरा क्यों है ? और तुम क़ब्र पर क...
ये सारे पक्षी खूब स्वाद ले ले कर फल और छीटे छोटे कीड़े खा रहे थे ये सारे पक्षी खूब स्वाद ले ले कर फल और छीटे छोटे कीड़े खा रहे थे
लेखक : अलेक्सान्द्र पूश्किन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : अलेक्सान्द्र पूश्किन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
सुबह रामसिंह दॄढ साहस लिए अपनी पत्नी और सामान के साथ पुलिस स्टेशन में खड़ा था। सुबह रामसिंह दॄढ साहस लिए अपनी पत्नी और सामान के साथ पुलिस स्टेशन में खड़ा था।