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प्रभात मिश्र

Others

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प्रभात मिश्र

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आपदा

आपदा

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२०१९ समाप्ति की तरफ बढ़ रहा था, परंतु यह किसी भी व्यतीत होते हुए वर्ष की तरह नहीं था, एक आसन्न संकट ने विश्व को घेर लिया था। पूर्वी एशिया में चीन के एक शहर वुहान में एक अप्रत्याशित महामारी अपने पैर पसार रही थी। एक अनजान विषाणु ने वुहान के लोगों को अपनी चपेट में लेना प्रारंभ कर दिया था, चीन ने अपने स्वभाव के अनुसार समाचारों को दबाना। छन छन कर सोशल मीडिया से कुछ कुछ चलचित्र एवम् छायाचित्रों के माध्यम से खबरे बाहर आ रही थी जो भयावहता का अप्रतिम उदाहरण थी। तथापि विश्व संभावित संकट से अंजान नये वर्ष के स्वागत , सैर सपाटे , आमोद प्रमोद में लगा हुआ था।किसने सोचा था कि आने वाला वर्ष मानव जाति को वो समय दिखायेगा जिसकी शायद ही किसी ने कल्पना भी की हो। २०२० हमारी पीढ़ी का वह वर्ष जिसने हमें स्वतंत्रता का सही अर्थ समझा दिया , एक ऐसा वर्ष जो शायद ही किसी की स्मृति पटल से मिट पायेगा। भय , निराशा, क्रंदन, असहायता का पर्याय बन कर २०२० सदैव हमारी स्मृति में शेष रहेगा। ऐसा न तो पहली बार हुआ था और न ही आखिरी बार परंतु जीवित मनुष्यों में संभवतः ही कोई ऐसा हो जिसने ऐसा समय अपने जीवन काल में देखा हो। विश्व के सर्वश्रेष्ठ देशों ने इस महामारी के सामने अपने घुटने टेक दिये थे, अस्पतालों में स्थानों का अभाव हो चला था, दवाओं का अभाव , आवश्यक सुविधाओं का अभाव , हताशा और निराशा के ऐसे समय में , जब लोग भयवश अपने भव्य और विलासितापूर्ण भवनों में कैद होने को मजबूर था , ऐसे में विश्व भर के चिकित्सा जगत से जुड़े लोग देवदूतों की तरह सामने आये।ऐसा निस्वार्थ त्याग और बलिदान , जिसने निराशा के भंवर में फंसी मानव जाति को पुनः आशा का जीवनदान दिया। उस समय जब स्वजन अपनों की परिचर्या को तैयार नहीं हो रहे थे, अंत्येष्टि कार्य दुष्कर हो गये थे , ऐसे में चिकित्सक किसी देवदूत की भांति दिनरात पीड़ितों की सेवासुश्रुषा में लगे रहे। कितने ही इस महामारी से कालकलवित भी हो गये परंतु अपने कार्य से पीछे नही हटे , यदि कहा जाये कि वो चिकित्सक और चिकित्सा जगत से जुड़े लोग ही थी जिन्होंने इस महामारी रुपी दानव से मानव जाति की रक्षा की तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। आत्मोत्सर्ग कर जो त्याग का जीवित उदाहरण उन्होंने ने मानव जाति के सम्मुख उपस्थित किया है आशा हैं मानवता इसे सदैव स्मरण रखेंगी। हाँलाकि खतरा अभी भी पूरी तरह से टला नही है , महामारी अभी भी फैल रही हैं, सुविधाएं अभी भी पर्याप्त नहीं है फिर भी निराशा के इस घोर तिमिर में हमारे चिकित्सक और चिकित्सा जगत के लोग आशा की एक किरण हैं। २०२० ने मानव जाति को यदि महामारी के रुप में एक कभी न भूलने वाला पाठ पढ़ाया तो कहीं न कहीं संगठन एवम् स्वनुशासन जैसी अच्छी आदतें भी सिखायी। हर कठिनाई के बाद मानव और अधिक मजबूती से उठ खड़ा होता हैं , और अधिक संवेदनशील और अधिक एकीकृत। इतिहास से यही सिद्ध हैं कि हर आपदा के बाद हम और बेहतर हो कर सामने आये हैं , बेहतर समाज के रुप में , बेहतर व्यक्ति के रुप में। उन तमाम गुमनाम योद्धाओं को समर्पित जिन्होंने मानवता की रक्षा के लिये सर्वोच्च बलिदान दिया, इतिश्री।


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