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Sajida Akram

Others

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Sajida Akram

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आँखों की भाषा

आँखों की भाषा

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हम जहाँ रहते हैं, 19-20 बंगले है कॉमन मेजॉरिटी है, हम सब बहुत मिलन सारिता से रहते हैं ...

 ये इसलिए सुना रही हूँ, क्योंकि हम सब में एक "नेवी" से रिटायर्ड चतुर्वेदी जी की फैमिली भी रहती है। उस वक़्त उनके बच्चे बहुत छोटे थे,"चतुर्वेदी जी 40-45 की उम्र में रिटायर्ड हो गए थे, पेंशन अच्छी नहीं थी, तो उन्होंने रिलायंस में जॉब कर लिया, उनके तीनों बच्चे बड़े मेहनती थे मिसेज चतुर्वेदी बड़ी ही शालीनता से अपने घर और बच्चों को बहुत मेहनत से पढ़ाती थी, अक्सर लोग उनकी माली हालत का ज़िक्र करते थे। एक मिसेज़ चतुर्वेदी बताती हैं हमने बहुत मुश्किलों से बड़ा किया है, घर में बच्चों को टी.वी. नहीं था तो तीनों बच्चे अपने घर में तबला, हॉरमोनियम लेकर भजन गाते, गाने गाते जब सब घरों में बच्चे टी.वी देखते तो ये बच्चे ऐसे वक़्त गुज़ारते पर कभी शिकायत नहीं की बच्चों ने हमें ये चाहिए या वो चाहिए।

हमें उनके यहाँ बहुत अपनापन लगता, तीनों बच्चे देखते ही देखते बड़े काबिल हो गए, पूरी कॉलोनी में उन्हें हमसे और हमें उन से लगाव था।

हमारी एक ही बेटी है सॉफ्टवेयर इंजीनियर है शादी के बाद पुणे में है। 

चतुर्वेदी जी का बड़ा बेटा इंजीनियरिंग करके जॉब करने लगा, बेटी ने नृत्य में बनारस यूनिवर्सिटी से कथक में डिग्री ली, बच्चे जब भी अपने घर आते मम्मी-पापा के साथ आकर हम दोनों से ज़रूर मिलते।

जब भी कोई उपलब्धि हासिल करते मम्मी ख़ुद बच्चों को आर्शिवाद के लिए ले कर आती। हम दोनों को बच्चे कुछ अच्छा करें तो बहुत ख़ुशी होती थी ...मिसेज चतुर्वेदी कहती हैं, आप लोगों को शिक्षा की कितनी क़दर है, आप बच्चों को प्रोत्साहित करते हैं।

बच्चे ख़ुद भागे चले आते हैं आपके पास...।

अभी 6-7 महीने पहले मिसेज चतुर्वेदी अपने छोटे बेटे को लेकर आई और कहने लगी लीजिए आपका छोटा बेटा "एयरफोर्स में सेकंड लैफ्टिनेंट" के लिए सेलेक्ट हो गया हैं। हम दोनों की ख़ुशी के मारे हमारी आँखें भर आई, जैसे ही वो मेरे पति के पैर छुने के लिए झुका इन्होंने उसे गर्म -जोशी से गले से लगा लिया, अरे मेरे शेर जवान आ गले लग यार ..! जो बचपन से बहुत नटखट था हम लोगों को अपनी शरारतों से ख़ूब हंसाता था, आज वो घर आया तो "एयरफोर्स की यूनिफार्म" में बहुत अच्छा लगा ....

 न्यूज चैनलों पर ख़बरें चल रही थी "पुलवामा में मिलिट्री की बस पर आतंकवादी हमला हम सब सन्न रह गए, बहुत आहत हुए दूसरे ही दिन मिसेज चतुर्वेदी मिली बस उनकी आँखों का दर्द देखकर में सिहर गई .."आँखों से आँखों की भाषा" पढ़ कर लगा, कह रही हैं अपना भी "छोटू एयरफोर्स" में मैने उन्हें बड़े प्यार से तसल्ली दी "ईश्वर" है वो सभी माँओं के बच्चों की हिफाज़त करेंगे.....।

पुलवामा का आतंकी हमला कायराना था अल्लाह उन आतंकियों को कभी माफ़ नहीं करेगा....। ये दुआ है हम दोनो की ...!



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