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रंजना उपाध्याय

Others

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रंजना उपाध्याय

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आग में घी डालने का काम

आग में घी डालने का काम

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"मुनेश एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कार्यरत था।उसके साथ ही रंजीत भी काम करता था।रंजीत एक साल सीनियर था।सीनियर होने के नाते और बॉस के बहुत करीब होने के नाते सब डरते थे।


रंजीत उसका नाजायज फायदा उठाता रहता था।अधिकतर मुनेश के पीछे पड़ा रहता था।मुनेश अपना काम टाइम से पूर्ण करके निकल जाता था।फालतू किसी के पास आना न जाना केवल अपने काम से काम का मतलब रखता था।मुनेश थोड़ा कम बोलता था।इसलिए रंजीत का काम आसान हो जाता था। अपना काम न करके अपना भी काम मुनेश के ऊपर थोप देता था।

मुनेश जल्दी जल्दी काम निबटाकर घर के लिए निकलता था।कई बार बहुत देर हो जाने के बाद ऑटो भी नहीं मिलता था।

एक दिन 2 किलोमीटर तक की दूरी पैदल चलकर घर तक पहुंच पाया।घर में पत्नी बच्चे सब इंतजार करते हुए घबराई आँख से दरवाज़े की तरफ एक टक निहार रहे थे।इस तरह मुनेश परेशान हो गया।मन मेँ सोच लिया कि आज बॉस से मिलकर छोड़ दूंगा यह ऑफिस ,कहीं और देखूंगा.वो

बॉस के पास गया ही था कि तब तक रंजीत भी पहुँच गया।बॉस के बोलने से पहले ही रंजीत बहुत कुछ झूठ बोल गया जिससे बॉस मुनेश के ऊपर ही भड़क गए।रंजीत ने आग में घी डालने का काम कर दिया .अब क्या अब तो मुनेश को हटने में ही भलाई थी।


बौस ने कहा,,

"मुनेश ये क्या सुन रहा हूँ।"

मुनेश-"जी सर!"

बॉस-"तुम अपना कोई काम ढंग से नहीं करते हो,सारा काम तुम्हारा रंजीत करता है।"

मुनेश-"नहीं सर।वही तो बताने आया था।क्या बताऊँ मेरी किस्मत ही खराब है सर ,यह नौकरी अब मेरे बस की बात नहीं है।"

ग़ुस्से में बॉस ने कंपनी से निकाल दिया।

अब सबको पता चलने लगा कि सबसे ज्यादा मेहनती मुनेश ही था।सारा काम करना प्लस सारे प्रोजेक्ट्स को संभालने की जिम्मेदारी मुनेश की थी।

बॉस भी चाह रहे थे कि मुनेश को बुलाया जाय।इस तरह कैसे चलेगा।कम्पनी घाटे में आ गयी है।

खैर ,रंजीत ने मुनेश के घर जाकर माफी मांगी और रिक्वेस्ट करने पर आया मुनेश, लेकिन पहले जैसा न ही उसका मन काम में लगता था ,न ही उस कम्पनी में रहना पसंद आता था।बॉस और रंजीत के बहुत प्रार्थना करने पर आया था।अपना 100%देता था।बाकी समय से अपने घर निकल जाता था।

एक साल के भीतर अपनी कम्पनी को कामयाबी के मंज़िल तक पहुँचा दिया।बॉस को अत्यंत खुशी हुई।और एक गाड़ी गिफ्ट किया।कुछ समय बाद ही रंजीत की असलियत पता चल गया।

जिसकी वजह से रंजीत को कम्पनी से बाहर कर दिया।और कम्पनी की सारी जिम्मेदारी मुनेश के हाथों में दे दिया।मुनेश पूरी जिम्मेदारी से और ईमानदारी से अपने कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करता था।

तो दोस्तों आज की कहानी कैसी लगी।किसी के बारे में गलतफहमी न पालें न ही उसके लिए आग में घी डालने का काम करें।वक्त वक्त की बात है।कब किसका पलड़ा भारी पड़ेगा कुछ भी नहीं पता।



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