अनूप पतंग उड़ाने में बहुत होशियार है, आज के दिन बीस पतंग तो वह जरूर काटता है।“ अनूप पतंग उड़ाने में बहुत होशियार है, आज के दिन बीस पतंग तो वह जरूर काटता है।“
एक लघुकथा। एक लघुकथा।
बस के इंतजार में मैं रुका था और वो भी, रात काफी हो गयी थी इसलिए जाने से पहले उससे भी पूछ लिया, अभी ... बस के इंतजार में मैं रुका था और वो भी, रात काफी हो गयी थी इसलिए जाने से पहले उस...
एक डाक्टर की कहानी जिसमें उसके पिता से उसकी मुलाकात भी इंतजार की लंबी यात्रा में एक स्वाति की बूंद क... एक डाक्टर की कहानी जिसमें उसके पिता से उसकी मुलाकात भी इंतजार की लंबी यात्रा में...
लेखक: बरीस अल्माज़व अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: बरीस अल्माज़व अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
राज पता चल गया और वह अपने माता पिता से भी मिल पाया केवल अपने डॉक्टर के वजह से। राज पता चल गया और वह अपने माता पिता से भी मिल पाया केवल अपने डॉक्टर के वजह से।