भूलती भी कैसे आख़िर पहला प्यार जो था उसका।
चाँँद के चाहनेे वालोंं से गुुजारिश कि कैैद करें चाँँद की शीतलता!
गाना गाते-गाते उसका ध्यान पूरा का पूरा सुभाष की तरफ चला गया।
सबेरे गुड़िया के रोने पर और माँ-माँ चिल्लाने पर भी धनिया न उठी तो सबका माथा ठनका ।
दो दिनों तक शहनाज़ के हाथ अपने गालों को छू -छू कर एक खुमारी महसूस करते रहे ।
"मेरे दिन की शुरुआत करती तुम और वो चाय का प्याला"