यादें ही साथ जाती है।स्मृति पटल पर यदि कोई रिश्ता जवां है।तो बरसो बाद उसकी खबर बूढे होने या गुजर जाने की सुनकर आश्चर्य अ...
वाह क्या हसीन मौत आई है गुनाहों की हुई विदाई है मर चुका था कब का जमीर ...
मैडम नुरिया के बेटे ने अपनी माँ को लोरो की मदद से उठाया और कार में बिठाया। वे सब शहर की
हाँ अब चल सकती हूँ फिर से एक नई राह पर, नई मंजिल की तलाश में।
लेखक : व्लादीमिर दाल् अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
समाज के सच को उजागर करती कहानी