और सब बढ़िया
और सब बढ़िया
चुन्नू, आज अपने चाचा के घर,अपनी गर्मियों की छुट्टी मनाने जा रहा है। सफेद रंंग के कपड़े के जूते,घुटने तक खींचे हुए लाल मोजे और कमीज़-हाफ़ पेंट में घोड़ा-गाड़ी का इंतज़ार हो रहा है। और ये लीजिए, चाचा आ गये। तो सफर शुरु हुआ और चाचा ने चुन्नू से बात करने की कोशिश की, लेकिन चुन्नू थोड़ा शर्मिला था। वो या तो मुस्कुराता या फिर यहां वहां देखता रहता। चाचा ने भी चुन्नू को गटागट की 2 गोलियां दी और चुन्नू से बोला कम से कम हाल-चाल ही बता दिया कर बेटा। और फिर राह चलते लोगों से ताँगे में बैठे बैठे ही ज़ोर ज़ोर से लोगों का हाल लेना शुरु कर दिया।
अब जो भी रास्ते से निकलता, चाचा बोल देते जय सिया राम "और सब बढ़िया"। पूरा रास्ता ऐसे ही निकल गया और चाचा ने चुन्नू से बोला, तुमने देखा लोगों से कैसे बात की मज़ा आया तुम्हें।
चुन्नू ने कहा हाँ चाचा-मज़ा आया। अब मैं भी पूछूंगा।
ये बात सुनकर चाचा बहुत खुश हो गये और चुन्नू को 2 गटागट की 2 और गोली दी।
चुन्नू 2 और गटा गट पाकर और भी खुश हो गया।
ताँगे से उतरते ही, चाचा किसी से बात करने लगे और चुन्नू से बोले बेटा तू घर जा मैं बस अभी आया किसी के घर कोई शाँत हो गया है तो मिलकर आता हूँ।
चुन्नू कुछ समझ नहीं पाया और सन्न बटे सन्नाटा सा खड़ा हो गया। अब चाचा समझे की इसको भी साथ लिये चलता हूँ।
चाचा वहां पहुँचकर अपनी सांत्वना परिवार को देने लगे, तभी पिता के गुज़र जाने का दुख बाँटने उनका पुत्र आया। वो चाचा को देखकर और दुखी हो गया और गले मिलकर रोने लगा।
तभी उसकी नज़र चुन्नू पर गयी और उसने पूछा ये कौन है? चाचा ने चुन्नू का परिचय दिया और तभी चुन्नू ने भी अपना दुख प्रकट करना ठीक समझा और उनसे से बोल बैठा।
मुझे आपके पिता जी का सुनकर बहुत दुख हुआ।
अच्छा अंकल जी और सब बढ़िया??
चुन्नू ये शब्द सुनकर अब ना तो चाचा बोल पाये और ना ही अंकल।
और चुन्नू अपनी गटा गट खाने में मगन हो गया।
