कन्यादान नहीं होगा......
अब रूही, सुरभि और सारी सहेलियों की आँखों में नाराजगी उतर आई थी।
इस कहानी से पता चलता है कि स्थिति कैसी भी हो खुशी ढूंढने से मिलती है।
तब समझ आया जिंदगी की छोटी छोटी खुशियाँ तो मैं भूल ही गई थी।
सच ना जाने ये दिन जो ना दिखाए सो कम है।
सामने अविनाश खड़ा था उसके और सुधीर के बचपन का दोस्त । इतने में इंस्पेक्टर आ गया और अविना