सब बातें करते रहे पर कनक चुप ही थी, कनक तुम पार्क आया करो मैं मिलवाती हूँ अपनी सहेलियों से तुम्हें अच्छा लगेगा।
चुप रहना ही बेहतर
अब शुरू हुई मम्मी जी की कहानियां, जिसमे किसी न किसी बहाने से रिया का ज़िक्र आ ही जाता था
हलक मे शब्दो के मजमे अटके है सबसे बहुत कुछ कहना है
"चुप रहने की नहीं, गलत के खिलाफ बोलने की हिम्मत रखो दुनिया की सारी हिम्मत तुम्हारे साथ आ जाएगी" ऐसा बोलकर वह चली गई।
माधुरी आगे बढ़ी और अपने ससुर के क़दमों में झुक गई। दीनानाथ ने उसे गले से लगा लिया।