उसका चेहरा पहचानने की अक्षमता रखता है।"
बेटी के मन मे वात्सल्य के भाव देखकर, पिता को अपने पितृसुख के दिन याद आने की कहानी
उस कुतिया के पिल्ले अभी तक पूतना का स्तनपान कर रहे थे और उसके मृत चेहरे पर हँसी साफ़ दिखाई दे रही थी।
उसकी आँखों में बोझ बन रहे आंसू गालों पर लुढ़कते हुए नीचे गिर कर मिट्टी में मिल गए।
वो पापा का एहसान मानती थी कि उन्होने चाची को मुसीबत के समय सहारा दिया।
उसे हर चेहरे में देव दिखाई दे रहा था और उसके शब्द गूँज रहे थे..."मैं फिर आऊँगा।"