ऐ दिल तेरा जामा-ए-काग़ज़ी कहाँ है नज़र आता नहीं दैर-ओ-क़लीसे में मैं ऐ दिल तेरा जामा-ए-काग़ज़ी कहाँ है नज़र आता नहीं दैर-ओ-क़लीसे में मैं
गुमनामी के अंधेरों से निकल कर कुछ खवाब चले थे मंज़िल की ओर गुमनामी के अंधेरों से निकल कर कुछ खवाब चले थे मंज़िल की ओर
ये राजदार ही हमारा, हर महफ़िल में कत्ल कर बैठे है, आस्तीन के सांप आजकल हर जगह पर बैठे हैं ये राजदार ही हमारा, हर महफ़िल में कत्ल कर बैठे है, आस्तीन के सांप आजकल हर जगह पर...
मैं इन यादों का कत्ल करना चाहती हूँ पर लोगों को इश्क़ करते देख यह यादें तड़पती है पर मरती नहीं। मैं इन यादों का कत्ल करना चाहती हूँ पर लोगों को इश्क़ करते देख यह यादें तड़पती है...
आख़िर वह क़त्ल क्या ? आख़िर वह क़त्ल क्या ?
ऎसे ही पढ़ी थी उसने मसूरी की सफर के दौरान रस्किन बॉण्ड की लिखी एक हत्या की कहानी और चाहता था ... ऎसे ही पढ़ी थी उसने मसूरी की सफर के दौरान रस्किन बॉण्ड की लिखी एक हत्या की क...