ऐ दिल तेरा जामा-ए-काग़ज़ी कहाँ है नज़र आता नहीं दैर-ओ-क़लीसे में मैं ऐ दिल तेरा जामा-ए-काग़ज़ी कहाँ है नज़र आता नहीं दैर-ओ-क़लीसे में मैं
तुमसे क्या निगाहें चार हुई और मैं आम से बदनाम हो गया तुमसे न कभी मुलाक़ात हुई तुमसे न... तुमसे क्या निगाहें चार हुई और मैं आम से बदनाम हो गया तुमसे न कभी मुल...