बदनाम
बदनाम
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मैं तो आवारा न था
कभी बेचारा न था
इश्क़ गलीयों मैं फिरता
बंजारा न था
तुमसे क्या निगाहें चार हुई
और मैं आम से बदनाम हो गया
तुमसे न कभी मुलाक़ात हुई
तुमसे न दिल की बात हुई
न तुम्हारी नज़रे इनायत हुई
न इश्क़ की इबादत हुई
सारा शहर चर्चा होने लगा
कोई पाग़ल मजनू घूमने लगा