करता वह हड़ताल, बखूबी रोष जताता। करता वह हड़ताल, बखूबी रोष जताता।
तथा स्क्रीन पर आ गए भगत, सुभाष और अन्य वीर क्रांतिकारी। तथा स्क्रीन पर आ गए भगत, सुभाष और अन्य वीर क्रांतिकारी।
क्या कारीगरी है कुदरत की क्या संरचना है मानव की । क्या कारीगरी है कुदरत की क्या संरचना है मानव की ।
कुछ यूं बदहाल हो गई है जिंदगी मेरी। अब खुद का भी ख्याल नहीं कर सकते कुछ यूं बदहाल हो गई है जिंदगी मेरी। अब खुद का भी ख्याल नहीं कर सकते
माँ की डाँट कभी भी दंड नहीं होती माँ की रसोई कभी बन्द नहीं होता माँ की डाँट कभी भी दंड नहीं होती माँ की रसोई कभी बन्द नहीं होता