मैंने देखा, समय की आंखों से अश्रु धारा को बहता ! मैंने देखा, समय की आंखों से अश्रु धारा को बहता !
मौन रहकर भी सदा तुम बोलते अधिकार से हो, बंद हो तुम सीप जैसे तुम खुले अखबार से हो । मौन रहकर भी सदा तुम बोलते अधिकार से हो, बंद हो तुम सीप जैसे तुम खुले अखबार से...
करता वह हड़ताल, बखूबी रोष जताता। करता वह हड़ताल, बखूबी रोष जताता।