कोई चेहरा पकड़कर रोई शायद कुछ याद आ जाये। कोई चेहरा पकड़कर रोई शायद कुछ याद आ जाये।
पर वो अब भी मेरे साथ है, इसका शुक्रगुजार हूँ। पर वो अब भी मेरे साथ है, इसका शुक्रगुजार हूँ।
वो जो देह को लेकर चिंतित रहती थी सदैव, आज क्यों कहीं और विलीन है वो जो देह को लेकर चिंतित रहती थी सदैव, आज क्यों कहीं और विलीन है
सहसा जीवन में कौंध उठी जिज्ञासा, चलो कुछ अब नया हमको सभी को करना है। सहसा जीवन में कौंध उठी जिज्ञासा, चलो कुछ अब नया हमको सभी को करना है।