मगर तू कट्टर बनता है, तो यह हम सब को धोखा है। मगर तू कट्टर बनता है, तो यह हम सब को धोखा है।
नफरत न फैल जाए, संभल जाओ चमन वालों । कुछ दौर ही ऐसा है सब , मिल के संभालो। नफरत न फैल जाए, संभल जाओ चमन वालों । कुछ दौर ही ऐसा है सब , मिल के संभालो।
निश्छल निर्विकार युग उत्कर्ष का पल पल पग भाग्य भारत का स्वाभिमान लिखूंगा ।। निश्छल निर्विकार युग उत्कर्ष का पल पल पग भाग्य भारत का स्वाभिमान लिखूंगा ।।
खुद मेंं एक मुकम्मल किताब है नारी ! खुद मेंं एक मुकम्मल किताब है नारी !