दोपहर में नींद आँखों में समाती, कुछ देर आराम के लिए ललचाती, दोपहर में नींद आँखों में समाती, कुछ देर आराम के लिए ललचाती,
तेज बहुत तेज, आगे सबसे आगे, भागती ही चली जाती है। तेज बहुत तेज, आगे सबसे आगे, भागती ही चली जाती है।
कलकल छलछल करती तुम अपने में समाती निर्माल्य हो कलकल छलछल करती तुम अपने में समाती निर्माल्य हो