मुख था खुला आँखें थी खुली खर्राटे लेते मेंढक राजा मुख था खुला आँखें थी खुली खर्राटे लेते मेंढक राजा
एक हीर के बालों में सजे, गजरे की खुशबू को, भर लाया हूँ, एक शीशी में!! एक हीर के बालों में सजे, गजरे की खुशबू को, भर लाया हूँ, एक शीशी में!!
सर्द सर्द रातों में अकसर बिस्तर में यूं जिस्म को कसकर आंखों में अश्कों को मसलकर यादों के कुएं में... सर्द सर्द रातों में अकसर बिस्तर में यूं जिस्म को कसकर आंखों में अश्कों को मसलक...