हवा तुम्हारी नजारा पानी बात किसान चाहत अनावश्यक चिंताएं सफल करें योजनाएं मिल जुलकर अगणित तृष्णाएं लुटाएं खुशियां सन्देश संवारें वर्तमान बे मौसम फसल मिले यादें रूप बद्र

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