उन कंटीले सत्यों से इस नाज़ुक से भ्रम की उम्र भले ही कम हो; एक वहम ही सही…. उग तो आया है आख़िर उन कंटीले सत्यों से इस नाज़ुक से भ्रम की उम्र भले ही कम हो; एक वहम ही सही…. ...
जिस्म कुछ इतना नाज़ुक है, बेहाल-निढाल हुआ जाता है लहू से अगरचे शराबोर रहे...कभी रूह दुहाई देती नहीं... जिस्म कुछ इतना नाज़ुक है, बेहाल-निढाल हुआ जाता है लहू से अगरचे शराबोर रहे...कभी...
नारी के जीवन का दर्दनाक सार है इस कविता में... नारी के जीवन का दर्दनाक सार है इस कविता में...