मगर प्रकृति का यह संचालन मेरे वश में कहां ? मगर प्रकृति का यह संचालन मेरे वश में कहां ?
ठंडी हवा और पानी की फुहारों में फिर से एक बार बहार को बुला लाते हैं बादलों के साथ। ठंडी हवा और पानी की फुहारों में फिर से एक बार बहार को बुला लाते हैं ...
मैं पूछती हूँ, क्या अतीत को भूलना आसान है ? मैं पूछती हूँ, क्या अतीत को भूलना आसान है ?
धूप से प्यासी मेरे तन को बूँदों ने दी ऐसी अंगड़ाई धूप से प्यासी मेरे तन को बूँदों ने दी ऐसी अंगड़ाई
मन आंगन में उमंगें अंगड़ाई ले रही हैं I मन आंगन में उमंगें अंगड़ाई ले रही हैं I
मृदु भावना की अनगिनत लहरें मन के सागर में उफनती भीगे सुर से भाव संवेदन मे स्वर लहरी के बन्द दरवाज़... मृदु भावना की अनगिनत लहरें मन के सागर में उफनती भीगे सुर से भाव संवेदन मे स्व...