तेरे मासूम नाज़ुक नखरे.. और अँखियों के ये लश्कारे.. बेहिसाब ज़ुल्म ढाते हैं.. तेरे मासूम नाज़ुक नखरे.. और अँखियों के ये लश्कारे.. बेहिसाब ज़ुल्म ढाते हैं....
उसे अश्कों से कहाँ बहाते हैं लोग .. दिल के आईने में जो अक्स दिखता है उसे अश्कों से कहाँ बहाते हैं लोग .. दिल के आईने में जो अक्स दिखता है