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विषैली वायु-नीर-धरा परचम लहराने निकली संकेतों से आभास भूल है हमारी प्रकृति हमको चेताती हिस्सा संभल औरतों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं खालीपन हिम्मत पोषण संरक्षण बढ़ रहा ताप सामूहिक तैयारी सबला हूं न्याय व्यवस्था डगमगा गई हैं बैरोजगारी भूखमरी बढ़ रही हैं अस्तित्व पर भारी कर खुशियां का दामन यादों का मंजर

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