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आगे बढ़ संभल न्याय व्यवस्था डगमगा गई हैं प्रकृति हमको चेताती सबला हूं औरतों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं कर खुशियां का दामन ममता का आंचल अस्तित्व पर भारी पोषण संरक्षण खालीपन हिस्सा संकेतों से आभास बैरोजगारी भूखमरी बढ़ रही हैं परचम लहराने निकली बढ़ रहा ताप यादों का मंजर सामूहिक तैयारी भावनाएं आहत करती हैं

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