बसंत की मिठास
बसंत की मिठास
नील गगन ,से झांके नील - नील अंबर
सरोवर भी है नील - नील, खिले फूल कमल
कोना कोना सरोवर ,करे गौरव अपने ऊपर
क्या सुहानी ऋतु आयी है, झूमे मेरा तन मन।।
किरण पड़ी सरोवर पर,वो भी गया चमक
पत्ता-पत्ता, बूटी-बूटी खेले ,खेल संग-संग
खूब बसंत आया, खुशियां हजार लाया
खोल बंद रास्ते, नयी राह दिखाया।।
कमल नयन भांति ,चित चोर ये सरोवर
अपने यौवन पर इतराए, साथ फूलों का पाके,
नाचे मोर, पपिहा नाचे, गाए गान टर - टर मेंढ़क भी नाचे
देख बसंत ऋतु की दस्तक को
ढोल बजा हर जीव भी नाचे।।
पतझड़, सर्दी फिर बसंत
इनके अवितल, में छुपा जीवन का रहस्य
पा मुसीबत इस जीवन में
कभी न घबरा, कभी न डर,
हिम्मत कर आगे बढ़,
अपना नाम बुलंद तू कर।।
अपना नाम बुलंद तू कर।।