उस चप्पल ने की मेहनत अनगिनत , न अपने लिए पर दूसरों के लिए। उस चप्पल ने की मेहनत अनगिनत , न अपने लिए पर दूसरों के लिए।
एक वक़्त की रोटी नहीं खाने को फिर भी खेल दिखाने आया हूँ मैं एक वक़्त की रोटी नहीं खाने को फिर भी खेल दिखाने आया हूँ मैं
एक बार भी उन्हें मैं पहन ना सकी सारे ही तो तुमने अपने हाथों से ही गंगा माँ में समा दिया एक बार भी उन्हें मैं पहन ना सकी सारे ही तो तुमने अपने हाथों से ही गंगा माँ म...