आओ देखो परेड की झांकी कहीं सैनिक की कतारें हैं कहीं कदम ताल की आवाजें आओ देखो परेड की झांकी कहीं सैनिक की कतारें हैं कहीं कदम ताल की आवाजें
रिश्तों की इस फसल पे निर्भर होती जीवन की झाँकी। रिश्तों की इस फसल पे निर्भर होती जीवन की झाँकी।
यह धरती कबीर तुलसी रसखान की आओ देखे झाँकी हिंदुस्तान की । यह धरती कबीर तुलसी रसखान की आओ देखे झाँकी हिंदुस्तान की ।