हम हैं ही ऐसे इत्र के जैसे गजब खुमारी मुझमें मचले इसी खुमारी में तुम फिसले नैन से नै हम हैं ही ऐसे इत्र के जैसे गजब खुमारी मुझमें मचले इसी खुमारी में तुम फिसले...
ताकि उसी रस्ते पर चलकर मैं इसके सागर को पा सकूँ ! ताकि उसी रस्ते पर चलकर मैं इसके सागर को पा सकूँ !
गुजर सा गया हूँ! या, और थोड़ा, सँवर सा गया हूँ? बसंत के ये , दरख्त जैसे! गुजर सा गया हूँ! या, और थोड़ा, सँवर सा गया हूँ? बसंत के ये , दरख्त जैसे!
क्या मेरी मोहब्ब्त इतनी कमजोर है। क्या मेरी मोहब्ब्त इतनी कमजोर है।
अजब सी बोरियत थी, उन दिनों यूँ रोज़ जीने में, बसी थी सूनी और बेरंग यादें , मेरे सीने अजब सी बोरियत थी, उन दिनों यूँ रोज़ जीने में, बसी थी सूनी और बेरंग यादें ,...
शब्द शब्द जैसे हो फूल शब्द शब्द जैसे हो फूल