जितना सहन करो, उतना अधिक मिलता है जितना सहन करो, उतना अधिक मिलता है
अकेलापन शोषित बनकर, उत्पीड़न करता रहा शृंगार कांटे बनकर, देह में चुभता रहा अकेलापन शोषित बनकर, उत्पीड़न करता रहा शृंगार कांटे बनकर, देह में चुभता रहा