मुखमंडल रक्तिम हुआ, उषा क्रोधावेश। प्रियतम सूर्य समीप तो , होता भस्म अशेष मुखमंडल रक्तिम हुआ, उषा क्रोधावेश। प्रियतम सूर्य समीप तो , होता भस्म अशेष