जिद है, तुम जिद समझना जब सौ बार गिर के भी आसमां छूने की कोशीश बार बार की है। जिद है, तुम जिद समझना जब सौ बार गिर के भी आसमां छूने की कोशीश बार बार की है।
दिन जो अब बीत रहे थे उनमे हम कुछ सांज रहे थे । कुछ दिन के वो दिनचर्या में उसमें हम कुछ फिर सोच ... दिन जो अब बीत रहे थे उनमे हम कुछ सांज रहे थे । कुछ दिन के वो दिनचर्या में उ...