कबीर कबीर सभ कहै, जाणै नहीं कबीर। जाणते ही कबीर को, मिट जावै सभ पीर।। कबीर कबीर सभ कहै, जाणै नहीं कबीर। जाणते ही कबीर को, मिट जावै सभ पीर।।
तू बेचैन कबीरा रोता क्यों है ? तू बेचैन कबीरा रोता क्यों है ? तू बेचैन कबीरा रोता क्यों है ? तू बेचैन कबीरा रोता क्यों है ?
यह पोथी रसखान कबीरा और पूरी मधुशाला है । यह पोथी रसखान कबीरा और पूरी मधुशाला है ।