यूँ कहने को तो लकड़ी कट रही है शजर की नस व हड्डी कट रही है! यूँ कहने को तो लकड़ी कट रही है शजर की नस व हड्डी कट रही है!
अलामत और भी होंगी फरमाने इलाही की वजह कुछ और है मेरी, सबब कुछ और है मेरा अलामत और भी होंगी फरमाने इलाही की वजह कुछ और है मेरी, सबब कुछ और है मेरा
करे क्या कलम कुसाई ना जाने कैसी घड़ी है आई। करे क्या कलम कुसाई ना जाने कैसी घड़ी है आई।
उसे कर आया हूँ इंकार दिल से ही दोस्ती उसकी उसे कर आया हूँ इंकार दिल से ही दोस्ती उसकी