ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
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आज जिंदगी कुछ वीरान सी लगती है
चाँदनी रात भी काली स्याह सी दिखती है।
हर पल तेरी है याद सताती
हर पल तुझे मैं हुँ पुकारती।
आज तेरे घर की दूरी भी आसमां सी लगती है
आज हर कोई न जाने क्यों अजनबी सा लगता है।
जिंदगी से न कोई शिकवा है न शिकायत
फिर भी न जाने क्यों ये मुझसे खफा दिखती है।
आज की रात भी वीरान सी लगती है,
हर पल एक बुरा ख्वाब सी दिखती है।
