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Tanmay Mehra

Others

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Tanmay Mehra

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ज़िन्दगी तेरी क़ीमत क्या है

ज़िन्दगी तेरी क़ीमत क्या है

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ज़िन्दगी तेरी क़ीमत क्या है 

कभी तू सोने-चाँदी सी लगती है

कभी फिर तू राख माटी सी लगती है

कभी तू सपन सलौने सजाती है

कभी फिर बन दरियाँ आँख से बह जाती है

कभी तू मचलती बहारों सी लगती है

कभी फिर पतझड़ में उजड़ी नज़ारो सी लगती है

कभी तू चंचल शोख अदाओं सी लगती है

कभी फिर जो पूरी ना हो उन दुआओं सी लगती है


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