Amit Kumar
Others
किसकी बात का यकीं करें हम
सब बहुत ख़र्च करते हैं
दिमाग़ अपना और
तालों में बंद रखते है दिलों को।
अपने रोशन दिमाग़ में
इतना ज़ंग लगाकर वो,
बात करते है रौशन ख़्याल होने की।
भूल बैठे हैं वो अंधकार में ही
ज़्यादा होती है उम्मीद सुबह के होने की।
उम्मीद
सदक़ा
नायाब
शिद्द्त
सदा मेरी राहो...
जो तुमने दिया...
सदा के लिए......
तुम चाँद हो स...
पलकों की चिलम...
मेरे शब्द