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राजेश "बनारसी बाबू"

Others

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राजेश "बनारसी बाबू"

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ये लफ्ज़ ही तो दिल के आईना हैं

ये लफ्ज़ ही तो दिल के आईना हैं

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ये लफ्ज़ ही तो दिल के आईना होते हैं,

 ना बोल के भी सब कुछ कह जाते हैं।

इंसान को शर्म से तार तार कर जाते हैं,

और ये लफ्ज़ ही इंसान की 

 तारिफ ए पुल भी बयां कर जाते हैं।

ये लफ्ज़ ही दिल के आईना होते हैं,

ये लफ्ज़ प्रकृति की झरने की आवाज होते हैं, 

ये लफ्ज़ ही एक गूंगे के अनकही आवाज होते हैं,

ये लफ्ज़ ही एक प्रेमी के दिल की दास्तान होते हैं,

समझो तो ये शब्दों का दरियाहैं, ना समझो तो शब्दों का पजल भीहैं।

ये लफ्ज़ ही महफिल में सुर्खिया बोटोरते हैं।

ये लफ्ज़ एक बेटी के पिता को हाल ए दास्तान कह जाते हैं,

ये लफ्ज़ ही सरहद पे शहिद हुए बेटे की खबर दे जाते हैं।

ये लफ्ज़ से ही अनसुलझे रहस्य सुलझ जाते हैं,

ये लफ्ज़ ही दिल के आईना होते हैं।

ये लफ्ज़ ही दो दिलों के प्यास बढ़ाती हैं,

ये लफ्ज़ ही दो प्रेमी के दिलो की दास्तान कह जाती हैं।

लफ्ज़ हो तो सब कुछ मुमकिन,

और न हो तो सुना संसार कर जाती हैं।

लफ्ज़ हो तो सन्नाटे को चीरता शहर,

और ना हो जैसे वीरान शहर,

लफ्ज़ ही एक दूजे को पास बुलाए।

लफ्ज़ ही एक दूजे में दूरी बढ़ाए,

ये लफ्ज़ लोगो की खुशी को बढ़ाए,

ये लफ्ज़ दो लोगो में दुख भी बढ़ाए।

ये लफ्ज़ ही दो दिल के भावना काहैं जरिया,

ये लफ्ज़ कवि केहैं भावना का पहिया,

ये लफ्ज़ ना हो तो खामोश सा शहर है।

ये लफ्ज़ हो तो पूरा रौनक शहर है।

ये लफ्ज़ ही तो बेचैनी बढ़ाए,

ये लफ्ज़ दो दिलों को करीब लाए।

ये लफ्ज़ ही तो दिल के आईना होते है।


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