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Raashi Shah

Others

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Raashi Shah

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ये कैसी ख़ुशबू फैली है हवा में

ये कैसी ख़ुशबू फैली है हवा में

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हवा जो बहती है हर दिन​,

पता नहीं क्यों,

आज लग रही है थोड़ी भिन्न​,

है इसमें एक ख़ुशबू.अलग​-सी,

और नज़ारा भी है, गज़ब का,

पता नहीं कैसा है एहसास​,

बिलकुल अजब​-सा।


ये ख़ुशबू,

जो बिखरी है आज हवा में,

नहीं है किसी फूल​, या पानी की,

ना ही है ये ख़ुशबू

उस मातृभूमि-रूपी,

गर्व करने योग्य, मिट्टी की।


नहीं है ये ख़ुशबू, लज़ीज़ खाने की,

ना ही, किसी सुगंधित इत्र की,

ये ख़ुशबू है अनोखी,

जिसके विषय में, न कर सके कोई विचार​,

ऐसी ही ख़ुशबुओं से तो,

होते है जीवन में सार​।


ये ख़ुशबू है सफलता की,

जिसके लिए मेहनत करते हैं हम​,

और उस सफलता तक पहुँचने के लिए,

लगा देते है, अपना पूरा दम​।

फैलती है जब ये ख़ुशबू हवा में,

तो मौसम ख़ुशनुमा हो जाता है,

और परिश्रम व्यक्ति को, अपने कार्य का,

उचित फल मिल जाता है।


और जब फैलती है पराजय की गंध​,

हमारा मुँह लटक जाता है,

और न जाने कैसे,

सफलता की ओर​,

फिर बढ़ने का प्रोत्साहन मिल जाता है।

और खुशियों की वो सुगंध​,

जो सबका मन बहलाती है,

और अपनी समस्त चिंता एवं कष्ट​,

अपनी अद्भुत शक्ति से,

विस्मरण कराती है,

और क्रोध की वो बदबू,

जिसमें मनुष्य कुछ भी कह जाए,

और शांत होने पर​,

अपने किए पर पछताए।


ऐसी ख़ुशबुएँ फैली है हवा में,

है जिन्हें मात्र महसूस करने की देर​,

जब समाप्त होंगी ये बदबुएँ,

और फैलेगी ख़ुशबू,

तब ख़ुशनुमा होगी इस दुनिया की सुबह सुरेल।


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