ये गांव भी.......
ये गांव भी.......
हमारी संस्कृति पर कुछ ऐसा असर होने लगा है
ये गांव भी अब शहर होने लगा है...!!
जहाँ पूजा जाता था अद़ब से माता-पिता को
उनकी दो बातें अब ज़हर लगने लगी हैं।।
ये गांव भी अब.........................!!
पहली किलकारी सुनकर खुशी से झूमने वाला
उसके कारनामों से रोने लगा है,
ये गांव भी अब........................!!
किसकी करूं शिकायत किससे करूं दुहाई
हमारी कोशिश भी अब बेअसर होने लगी है
ये गांव भी अब.........................!!
नहीं रहा सतयुग,बीत गया त्रेता,अब होगा न द्वापर
शायद कलयुग का असर होने लगा है
ये गांव भी अब............!!