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ये भी तो कुछ कहते हैं-----

ये भी तो कुछ कहते हैं-----

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ये भी तो कुछ कहते हैं-----

 

पड़ते कुल्हाड़े पेड़ों पर जब

उनके भी  आँसू बहते हैं

सोचो ज़रा इक बात तो आखिर

क्या वो भी हमसे कुछ कहते हैं?

 

जो हैं हमारे जीवन रक्षक

क्यूँ हम उनके भक्षक बन जाऐं

जो जीवन को देने वाले हैं

उनके ही दुश्मन कहलाऐं।

 

काटने पर हम तुले हैं जिसको

शहर शहर और गाँव-गाँव

आने वाले समय में फिर तो

मिलेगी न हमको उनकी छाँव।

 

जो धरती का आँचल लहराऐ

पर्यावरण को सदा बचाए

धूप ठंड बारिश को बचा के

मानव जीवन को हरषाऐ।

 

प्रकृति है जिससे हरी भरी

जो बादल से बारिश ले आते

जिनके कारण ही तो हम

नव जीवन हैं अपनाते।

 

आओ हम सब बच्चे मिल जाऐं

फिर एक पेड़ न कटने पाये

जगह जगह पर पेड़ लगा कर

हरियाली वसुन्धरा पर लायें।

 

 

पूनम श्रीवास्तव


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