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पुनीत श्रीवास्तव

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पुनीत श्रीवास्तव

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यात्रा २०१७

यात्रा २०१७

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२५मार्च , ममेरे भाई की शादी की दावत

बरेली में थी तैयारी तो बहुत दिनों से हो रही थी ,

कपड़े बच्चों के ,कुछ नए अपने भी ,

अम्मा और पत्नी के अपने मैचिंग नए डिज़ाइन के साड़ी से गहने 

बरेली ,हमारी वकालत की पढ़ाई की जगह 

कुछ कमीने से दोस्त वहां भी इंतेज़ार कर रहे थे

बड़ा शानदार रहा रिसेप्शन 

मामा मौसी के लड़कों लड़कियों से मुलाक़ात ननिहाल की छुट्टी के दिनों वाली सी 

खूब बातें खाना पीना गाना भी स्टेज वाला 

अगले दिन दोस्तो के नाम 

अब जाने हैं सब गोरखपुर यू पी में पड़ता है  

जय हो योगी जी की 

फिर बातें कुछ पुरानी कुछ नई 

ये अलग बात है गालियां ज्यादा सब ही देने लगे हैं

एक स्कूल के मित्र भी बरेली है आजकल उनसे भी मिल लिए 

अगला पड़ाव ।


दिल्ली 

भाई का घर है तो नोएडा में 

बेसब्री से इंतेज़ार हमे भी उन्हें भी 

पांच दिन साथ रहेंगे 

बच्चे थोड़ा घूम घाम लेंगे

नोएडा में दिल्ली से कम जाम है 

थोड़ी खुला खुला सा 

ढेरों इमारतें ढेरो मंज़िली 

हम तो आते जाते रहे है 

आदी बडे विस्मित हो के देखते रहे 

बड़ा घर उससे भी बड़ा दिल 

क्या घूमा दे क्या खिला पिला दे 

यहाँ चले वहां चले 

वो दौर भी देखा है भाई की दिल्ली की एक कमरे में ४ ५ साथ रहते थे 

९ से ९की नौकरी में ५000 मिलते थे तब भी

राजकुमारों की तरह स्वागत होता था 

अब तो बड़ी पोजीशन है बड़ा घर भी 

पर दिल का नाता समय के साथ और गहरा होता जाता है

इस बार लगा भाई भौजाई के साथ

 मामा मामी मौसी की लड़की सब से मिलना हुआ जो दिल्ली में ही है

पिछली बार ३ ,४साल पहले गए थे

बहुतो को लगता है जाने अगली बार कब आये !!!

दिल्ली और नई लगी इस बार 

बस यूं ही गुज़रे पांच दिन पलक झपकते से 

हम भाई गले मिले एक दूसरे से जोर से भींच के 

और विदा हुए दिल्ली से अनमोल यादों के साथ 

मोबाइल में खिंची फोटो देख के आंखे नम हुई इधर भी उधर भी शायद 


लखनऊ 

साले के यहाँ दो दिन का ठहराव 

छोटी साली और पापा भी उधर ससुराल कुशीनगर जिले से लखनऊ आये 

साथ बीता दो दिन 

चिड़ियाघर गए ,खुद बच्चे थे तबका गये थे अब अपने बच्चों को लेकर जाना हुआ

ताज़्ज़ुब है 

हुक्कू बन्दर आज भी है 

एक फ़िल्म मॉल में सबके साथ देखी गई 

नाम शबाना 

फ़िल्म ठीके है पर इस गर्मी में पी वी आर में ए सी सुकून दे गया बस 

लखनऊ भी बदल रहा है 

खूब इमारते खूब लोग 

बीवी अमीनाबाद घूम आयीं

नवरात्रो में कोई ज्यादा विकल्प नही होता इसलिए 

आलू चने की सब्जी और पूड़ी खा के ट्रेन में हैं 

कल गोरखपुर 

फिर घर 

सफर चल ही रहा है 

सभी के चेहरे घूमते हैं बस।



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